भारत के औद्योगिक जगत में एक बार फिर से हलचल मची है। इस बार, अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों से जुड़े लगभग ₹17,000 करोड़ के बैंक फ्रॉड के आरोपों के मद्देनजर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उनकी छह जगहों पर छापेमारी की है। यह घटना जांच की एक नई दिशा को संकेत देती है और आर्थिक गलियारों में हलचल बढ़ा रही है।
Enforcement Directorate (ED) पहले ही इस वित्तीय घोटाले की जांच कर रही है, जिसमें अनिल अंबानी के समूह ने कथित रूप से फर्जी गारंटी, कर्ज़ का दुरुपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे कार्यों में शामिल होने का खुलासा हुआ है। इस घोटाले की जांच अब और तेज़ हो गई है क्योंकि ED के बाद अब CBI ने भी सक्रिय भूमिका निभानी शुरू कर दी है।
CBI की छापेमारी: क्या-क्या हुआ?
शिकायत दर्ज और केस की शुरुआत: CBI ने State Bank of India (SBI) की शिकायत पर एक FIR दर्ज किया है, जिसमें Reliance Communications (RCOM) और अनिल अंबानी पर ₹2,000 करोड़ से अधिक राशि के बैंक फ्रॉड का आरोप है।
छापेमारी की जगहें: शनिवार को, CBI ने मुंबई में अनिल अंबानी और RCOM से संबंधित छह स्थानों—जिनमें उनके आवास और कार्यालय भी शामिल हैं, पर रेड की, ताकि दस्तावेज़ व डिजिटल सबूत इकट्ठा किए जा सकें।
SBI का “fraud” लेबल: SBI ने 13 जून को RCOM और अनिल अंबानी को “fraud” (धोखाधड़ी) घोषित किया था और 24 जून को RBI को सूचित किया FYI Regulatory norms के तहत।
खुलासे और कमाई की संभावना
एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि SBI के ₹2,227.64 करोड़ निधि-आधारित ऋण और ₹786.52 करोड़ बैंक गारंटी संबंधी Exposure हैं, जो 2016 से चल रहा है।
प्रारंभिक जांच में यह भी संकेत मिला कि Yes Bank से 2017–2019 के बीच ₹3,000 करोड़ के ऋण का अवैध लाभ लिया गया और RCOM द्वारा ₹14,000 करोड़ से अधिक के फ्रॉड की रूपरेखा उभर कर दिखाई दे रही है ।
कानूनी और वित्तीय गंभीरताएँ
ED की जांच से पता चलता है कि ₹17,000 करोड़ से अधिक का व्यापक घोटाला शामिल है जिसमें फर्जी गारंटी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
पहले ED ने अंबानी समूह के कई वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की थी और जांच कई शहरों में फैल चुकी है—35 से अधिक ठिकानों की ED रेड तक पहुंची थी।
सारांश और आगे का रास्ता
अब आगे CBI को छापा में मिले दस्तावेज़ों और डिजिटल साक्ष्यों का विश्लेषण करना है। इसके आधार पर गिरफ्तारी, चार्जशीट दर्ज करना या अन्य कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं।
निष्कर्ष
अनिल अंबानी के आर-ADAG समूह पर लगे बैंक फ्रॉड के आरोप भारत के वित्तीय क्षेत्र में न्यायपालिका की सक्रियता और पारदर्शिता की मांग को उजागर करते हैं। CBI की छापेमारी ने इस जांच को एक नया मुकाम दिया है और आने वाले दिनों में इस जांच से जुड़े महत्वपूर्ण मोड़ सामने आएँगे।